Deoria girl justice appeal: उत्तर प्रदेश के देवरिया ज़िले की एक बेटी इन दिनों अपनी आवाज़ लेकर न्याय के दरवाज़े खटखटा रही है। पीड़िता का आरोप है कि कुछ दबंग लोगों ने दबंगई के बल पर उसके घर में घुसकर न केवल मारपीट की, बल्कि उसके साथ छेड़छाड़ भी की। घटना के चार दिन बीत चुके हैं, लेकिन स्थानीय थाने में उसकी एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई है। बेटी रोज़ थाने का चक्कर लगा रही है, लेकिन थाना प्रभारी की कलम जैसे टूट चुकी है।
बेटी बचाओ का नारा और हकीकत
“बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” यह नारा सुनने में जितना सशक्त लगता है, ज़मीनी हकीकत में उतना ही कमजोर नज़र आता है। यह मामला यही बताता है कि जब बेटियां अपने ही घर में सुरक्षित नहीं हैं, तो ये नारे किसके लिए हैं? क्या यह सिर्फ चुनावी मंचों और पोस्टरों तक सीमित रह गए हैं? जब एक पीड़िता खुद पुलिस स्टेशन जाकर भी न्याय नहीं पा रही, तो आम महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठना लाज़मी है।
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पीड़िता की व्यथा
पीड़िता ने बताया कि वह लगातार अधिकारियों से गुहार लगा रही है, लेकिन हर बार कोई न कोई बहाना बना दिया जाता है, कभी कहा जाता है “थानेदार साहब मीटिंग में हैं”, तो कभी “कल आना” कहकर लौटा दिया जाता है। चार दिन से अधिक समय गुजर जाने के बावजूद उसकी शिकायत लिखने तक की हिम्मत पुलिस नहीं जुटा पा रही। इससे साफ है कि व्यवस्था में भय और दबाव कितना गहरा है।
दबंगई पर कानून की चुप्पी
दबंगों का हौसला इस कदर बढ़ गया है कि वे बेखौफ होकर महिलाओं पर हमला करने से भी नहीं हिचकते। कानून और पुलिस की चुप्पी ने ऐसे लोगों को और निर्भीक बना दिया है। जब न्याय की उम्मीद ही खो जाए, तो समाज में डर और असुरक्षा का माहौल अपने आप फैल जाता है।
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अब ज़रूरी है सख्त कार्रवाई
इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि महिलाओं की सुरक्षा का वादा आखिर कब पूरा होगा। प्रशासन को न केवल तत्काल एफआईआर दर्ज करनी चाहिए, बल्कि आरोपियों पर सख्त कार्रवाई भी करनी चाहिए। साथ ही, थाने में लापरवाही बरतने वाले अफसरों पर भी विभागीय जांच होनी चाहिए। जब तक पुलिस व्यवस्था जवाबदेह नहीं बनेगी, तब तक “बेटी बचाओ” का नारा खोखला ही रहेगा।देवरिया की यह बेटी सिर्फ अपनी नहीं, पूरे समाज की आवाज़ है। उसकी पुकार इस बात की गवाही देती है कि जब तक सिस्टम संवेदनशील नहीं होगा, तब तक न्याय सिर्फ किताबों में ही मिलेगा। यह वक्त है कि शासन और प्रशासन दोनों मिलकर यह साबित करें कि “बेटी बचाओ” कोई नारा नहीं, बल्कि एक वचन है।
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