Pushkar Singh Dhami: कभी मुख्यमंत्री रहते हुए लालू प्रसाद यादव ने पटना में ‘तेल पीलापन लठिया भाजन’ जैसी रैली करके अपने राजनीतिक विरोधियों को डराने और जनता पर प्रभाव जमाने की कोशिश की थी। उस दौर में ऐसी रैलियां विपक्ष को हतोत्साहित करने का प्रतीक मानी जाती थीं। आज वही बिहार फिर एक बार सियासी हलचल के केंद्र में है – लेकिन इस बार फोकस भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर है, जो 2025 के विधानसभा चुनाव को अपनी “प्रतिष्ठा की लड़ाई” मान चुकी है।
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बिहार में बीजेपी की नई रणनीति-देशभर से बुलाए गए नेता
बीजेपी अब पूरे देश से अपने अनुभवी नेताओं और संगठनों की ताकत बिहार में झोंक रही है। उत्तराखंड से लेकर गुजरात तक, हर प्रदेश के कार्यकर्ता और नेता प्रचार में जुटाए जा रहे हैं। उत्तराखंड से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही बिहार के कई जिलों में रैलियां कर चुके हैं। उन्होंने जनता से कहा- ‘बिहार में बीजेपी की सरकार बनना विकास और स्थिरता की गारंटी है।’ बीजेपी का केंद्रीय कमांड ऑफिस लगातार देशभर से नेताओं को प्रचार में भेज रहा है ताकि संगठन का ग्राउंड नेटवर्क मजबूत हो सके और विपक्षी दलों के मुकाबले भाजपा का जनसंपर्क बढ़ाया जा सके।
उत्तराखंड के नेताओं की भूमिका – ग्राउंड लेवल पर सक्रियता
बिहार चुनाव में उत्तराखंड के कई वरिष्ठ नेता अहम भूमिका निभा रहे हैं —
- अजय कुमार (संगठन महामंत्री) — स्थानीय कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर पर सक्रिय कर रहे हैं।
- अजय भट्ट (सांसद) — पिछले 25 दिनों से बिहार में लगातार प्रचार अभियान चला रहे हैं।
- अरविंद पांडे, प्रदीप बत्रा, राजेश शुक्ला, शिव अरोड़ा — विभिन्न जिलों में प्रचार की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
उत्तराखंड बीजेपी के संगठन महामंत्री कुंदन परिहार के मुताबिक, “हमारे राज्य की संगठनात्मक अनुशासन की पूरे देश में मिसाल दी जाती है। इसी कारण बिहार में भी उत्तराखंड मॉडल को अपनाया जा रहा है।”
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‘उत्तराखंड मॉडल’ — बीजेपी की संगठनात्मक ताकत
उत्तराखंड में बीजेपी ने बूथ स्तर तक संगठन को मज़बूत किया है, जिसका असर हर चुनाव में दिखा है। अब यही ‘मॉडल’ बिहार में दोहराया जा रहा है। परिहार के अनुसार, नेताओं को “क्षेत्रवार रणनीति” के साथ भेजा गया है ताकि हर इलाके में मतदाता संवाद और सोशल मीडिया प्रचार को मजबूती मिल सके।
महिला और युवा मोर्चा को मिली अहम जिम्मेदारी
बीजेपी ने इस बार युवा मोर्चा और महिला मोर्चा को भी बड़ी भूमिका दी है। दिल्ली में दोनों संगठनों के कार्यकर्ताओं को विशेष प्रशिक्षण दिया गया —
- जनसंपर्क और मतदाता संवाद
- सोशल मीडिया कैंपेन
- घर-घर जाकर बीजेपी योजनाओं की जानकारी देना
इन मोर्चों को खासकर महिला मतदाताओं और पहली बार वोट डालने वाले युवाओं को टारगेट करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
🔹 मिशन 2025 – ‘दोहराना 2024 की जीत’
बीजेपी का लक्ष्य केवल जीतना नहीं, बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव जैसी सफलता दोहराना है। इसके लिए सभी बीजेपी-शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को प्रचार अभियान में शामिल किया गया है। उत्तराखंड को एक ‘संगठनात्मक उत्कृष्टता मॉडल’ के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी बिहार में अपनी राजनीतिक ताकत और संगठनात्मक क्षमता का प्रदर्शन करना चाहती है ताकि गठबंधन में उसकी स्थिति और मजबूत हो।
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विपक्षी दलों की चुनौती और जनता का मूड
जैसे-जैसे बिहार में प्रचार तेज हो रहा है, सियासी माहौल गरमाता जा रहा है। बीजेपी के साथ-साथ महागठबंधन भी अपने स्टार प्रचारकों को मैदान में उतार रहा है। वहीं जनता इस बार जातीय समीकरणों से ज़्यादा विकास, रोजगार और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर विचार कर रही है।
बीजेपी की ‘पूरी ताकत’ चुनावी रणभूमि में
बीजेपी के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा से जुड़ा है। पार्टी अपने संगठन, अनुशासन और जनसंपर्क नेटवर्क पर भरोसा कर रही है। अब देखना यह होगा कि क्या बीजेपी अपने “मिशन 2025” में 2024 की जीत दोहरा पाएगी, या बिहार की जनता कोई नया फैसला सुनाएगी।
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