Deepotsav 2025: अयोध्या नगरी एक बार फिर दीपों की रौशनी से जगमगा उठी। हर गली, हर घाट और हर मन में रामभक्ति का प्रकाश फैल गया। इस वर्ष का दीपोत्सव न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बना, बल्कि यह “नए अयोध्या युग” का प्रतीक बनकर उभरा — वह युग, जहां अध्यात्म, संस्कृति और व्यवस्था एक साथ मिलकर रामराज्य की भावना को साकार कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी की समीक्षा और व्यवस्था पर जोर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या पहुंचते ही सबसे पहले सुरक्षा और व्यवस्थाओं की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि किसी श्रद्धालु या पर्यटक को किसी प्रकार की असुविधा न हो। उन्होंने कहा कि दीपोत्सव केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि यह करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ा आयोजन है। इसलिए हर स्तर पर अनुशासन, सेवा और समर्पण झलकना चाहिए। शहर में प्रशासन, पुलिस बल और हजारों स्वयंसेवक तैनात रहे। यात्रियों की सुविधा के लिए विशेष मार्ग बनाए गए, पार्किंग और यातायात व्यवस्था को सुचारू रखा गया। हर घाट और मंदिर परिसर में स्वच्छता और सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों में झलका रामायण का संदेश
दीपोत्सव के दौरान पूरे शहर में भक्ति और संस्कृति का सुंदर संगम देखने को मिला। रामकथा पर आधारित ड्रोन और लेजर शो ने भगवान श्रीराम के जीवन के प्रमुख प्रसंगों को जीवंत कर दिया — वनवास, लंका विजय और अयोध्या वापसी के दृश्य ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य, संगीत और नाटक प्रस्तुत कर भारत की सांस्कृतिक एकता को साकार किया। सरयू घाट पर रामलीला मंचन और लोककलाओं की झांकी ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। हर प्रस्तुति ने यह संदेश दिया कि राम केवल अयोध्या के नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के नायक हैं।
भव्य राजतिलक समारोह: भक्ति का उत्कर्ष
दीपोत्सव का सबसे प्रमुख आकर्षण रहा भगवान श्रीराम का राजतिलक समारोह। सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंच पर राजसत्ता के प्रतीक के रूप में विराजमान होकर भगवान श्रीराम का तिलक किया। इस दौरान पूरे परिसर में “जय श्रीराम” के उद्घोष गूंज उठे।
आरती और माल्यार्पण में प्रदेश सरकार के मंत्री, राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, संत-महंत और हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे। सरयू नदी के किनारे लाखों दीपों ने ऐसा दृश्य बनाया मानो त्रेता युग पुनः धरती पर उतर आया हो। रात के समय दीपों और आतिशबाज़ी की रौशनी ने अयोध्या को स्वर्गिक आभा से भर दिया।

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अध्यात्म और आधुनिकता का संगम
इस वर्ष का दीपोत्सव केवल धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह भारत की अध्यात्मिक आधुनिकता का उदाहरण बना। एक ओर जहां रामराज्य के आदर्शों की झलक दिखी, वहीं दूसरी ओर तकनीक, सफाई और अनुशासन का सुंदर मेल भी देखने को मिला।
अयोध्या आज केवल एक शहर नहीं, बल्कि एक जीवंत प्रतीक बन गई है — आस्था, एकता और संस्कृति का। श्रद्धालु इस आयोजन से न केवल भक्ति का अनुभव लेकर लौटे, बल्कि उन्होंने यह महसूस किया कि रामराज्य कोई कल्पना नहीं, बल्कि वह जीवनशैली है जिसमें प्रेम, न्याय, सेवा और करुणा का भाव बसता है।
रामराज्य की ओर बढ़ता भारत
अयोध्या दीपोत्सव ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि भारत की आत्मा अब भी राम में बसती है। लाखों दीपकों की लौ ने यह प्रतीकात्मक संदेश दिया कि अंधकार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, जब भक्ति और सत्य की ज्योति जलती है, तो समूचा संसार प्रकाशित हो उठता है।
मुख्यमंत्री योगी ने अपने संबोधन में कहा — “अयोध्या अब केवल इतिहास का हिस्सा नहीं, बल्कि भारत के भविष्य की दिशा है। रामराज्य का अर्थ ही है – सबका सम्मान, सबका विकास और सबका साथ।”
अयोध्या का दीपोत्सव 2025 इस बात का साक्षी बना कि जब शासन, समाज और श्रद्धा एक साथ चलते हैं, तो धरती पर स्वर्ग उतर आता है। इस दीपोत्सव ने न केवल शहर को रोशन किया, बल्कि हर हृदय में रामभक्ति की ज्योति प्रज्वलित कर दी — जो आने वाले समय में भारत के आध्यात्मिक पुनर्जागरण का आधार बनेगी।
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