Collector-Commissioner Conference: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहली ऑफलाइन कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ सोमवार, 7 अक्टूबर से होगा। यह दो दिवसीय महत्वपूर्ण बैठक राज्य सरकार के विज़न और प्राथमिकताओं के अनुरूप प्रमुख योजनाओं की समीक्षा पर केंद्रित रहेगी। खास बात यह है कि इस सम्मेलन में प्रदेश के शीर्ष 5 और सबसे कमजोर 5 जिलों के प्रदर्शन की तुलना की जाएगी ताकि प्रशासनिक दक्षता और योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन को बढ़ावा मिल सके।
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मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव करेंगे उद्घाटन
सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन सुबह 10 बजे कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन द्वारा किया जाएगा। इसमें सीएम ऑफिस, योजना विभाग और विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे।
पहले सत्र में मुख्यमंत्री राज्य के विकास विज़न, प्राथमिकताओं और प्रशासनिक जवाबदेही पर अधिकारियों को दिशानिर्देश देंगे।
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सम्मेलन का उद्देश्य: जमीनी सच्चाई तक पहुंच
मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार, यह कॉन्फ्रेंस राज्य की योजनाओं के जमीनी क्रियान्वयन को समझने और अधिकारियों से सीधे संवाद का मंच बनेगी। यहाँ अधिकारियों से क्षेत्रवार प्रगति, चुनौतियों और समाधान पर चर्चा की जाएगी।
आठ सत्रों में होगा विषयवार फोकस
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की इस बैठक में कुल 8 प्रमुख सत्र आयोजित होंगे, जिनमें राज्य के विकास के विभिन्न पहलुओं पर गहन समीक्षा होगी।
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- पहला सत्र – कृषि विकास
कृषि, बागवानी, पशुपालन और सहकारिता विभागों के अधिकारी कृषि उत्पादन, फसल विविधिकरण, जैविक खेती और किसानों की आय वृद्धि पर चर्चा करेंगे। - दूसरा सत्र – स्वास्थ्य और पोषण
स्वास्थ्य विभाग, एनएचएम और महिला बाल विकास विभाग जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं, मातृ-शिशु पोषण और टीकाकरण कार्यक्रमों की स्थिति पर समीक्षा करेंगे। - तीसरा सत्र – उद्योग, निवेश और रोजगार
राज्य में उद्योग स्थापना, निवेश आकर्षण और कौशल विकास योजनाओं की प्रगति पर विचार-विमर्श होगा। मुख्यमंत्री “रोजगार सृजन” को सर्वोच्च प्राथमिकता देने पर बल देंगे। - चौथा सत्र – शहरी विकास और स्मार्ट गवर्नेंस
नगरीय विकास विभाग स्वच्छता, आधारभूत ढांचे, जल आपूर्ति और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं की समीक्षा करेगा। - पाँचवाँ सत्र – सुशासन और प्रशासनिक दक्षता
शासन की पारदर्शिता और कार्यगति पर चर्चा होगी। सामान्य प्रशासन, वित्त और विधि विभाग के अधिकारी सरकारी कामकाज को तेज़ और जवाबदेह बनाने के उपाय प्रस्तुत करेंगे। - छठा सत्र – शिक्षा की गुणवत्ता
शिक्षा विभाग स्कूलों में नामांकन दर, शिक्षक उपस्थिति और डिजिटल लर्निंग की समीक्षा करेगा। मुख्यमंत्री “ज्ञान व अनुशासन आधारित शिक्षा” पर जोर देंगे। - सातवाँ सत्र – जनजातीय कल्याण और ग्रामीण विकास
जनजातीय कार्य व पीएचई विभाग ग्रामीण व जनजातीय क्षेत्रों में विकास कार्यों और पेयजल योजनाओं की स्थिति की समीक्षा करेंगे। - आठवाँ सत्र – कानून व्यवस्था
गृह विभाग राज्य की सुरक्षा, अपराध नियंत्रण और महिला सुरक्षा योजनाओं पर प्रस्तुति देगा। मुख्यमंत्री सख्त संदेश देंगे कि कानून व्यवस्था में कोई ढिलाई स्वीकार्य नहीं होगी।
जिलों के नवाचार बनेंगे प्रेरणा का मॉडल
सम्मेलन में जिलों के कलेक्टर अपने नवाचार और नई पहलें प्रस्तुत करेंगे। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि हर जिला अपना एक मॉडल प्रस्तुत करे ताकि अन्य जिलों को उससे प्रेरणा मिले। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले जिलों को प्रशंसा और प्रोत्साहन मिलेगा, जबकि कमजोर प्रदर्शन वाले जिलों से सुधार के लिए ठोस कार्ययोजना मांगी जाएगी।
प्रशासनिक सुधार और परिणामोन्मुखी शासन
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने कहा है कि यह कॉन्फ्रेंस सिर्फ समीक्षा नहीं बल्कि परिणामोन्मुखी शासन की दिशा में एक निर्णायक कदम है। सरकार का लक्ष्य है कि योजनाओं का असर सीधे जनता तक पहुंचे और प्रशासन का कार्य सिर्फ फाइलों तक सीमित न रहे।
सरकार का लक्ष्य: “सशक्त प्रशासन, समृद्ध मध्यप्रदेश”
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रत्येक अधिकारी को अपने जिले की प्रगति का चेहरा बनना होगा। कॉन्फ्रेंस के समापन पर मुख्यमंत्री सभी कलेक्टरों और कमिश्नरों को विकास कार्यों की नई प्राथमिकताएं सौंपेंगे।
सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है — “सशक्त प्रशासन, समृद्ध मध्यप्रदेश।”
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